भूतपूर्व अध्यक्ष
हिंदी लेखिका संघ
मध्यप्रदेश , भोपाल
अधरों पर ख़ामोशी
अधरों पर ख़ामोशी लेकर
मन का गीत सुना दो तुम !
मौन समर्पण आखों से दो तुम
नैनों से मुस्का दो तुम !
कम्पित कर में हृदय कटोरा
अक्षयपात्र लिए हो तुम !
अश्रुकणों से जल अर्पण कर
चरण धुलाने आये तुम !
अधरों आशा प्रेमदान की
पल-पल रटन लगा दो तुम !
मौन समर्पण आखों से दो तुम
नैनों से मुस्का दो तुम !
कलियों ने निज पंखुरी खोली
मन में करें हंसी-ठिठोली
मन की बगिया ऐसी डोली
खाली हुई हृदय की झोली
मन का आंगन अब चमक उठे
पलकों पर दीप जला दो तुम !
मौन समर्पण आखों से दो तुम
नैनों से मुस्का दो तुम !
पल दो पल की बात नहीं है
ये कोई सौगात नहीं है
सारा जीवन ही पूजा है
झूठी सच्ची बात नहीं है
विष भी अमृत हो जायेगा
मीरा सी लगन लो तुम !
मौन समर्पण आखों से दो तुम
नैनों से मुस्का दो तुम !
मन का आंगन अब चमक उठे
ReplyDeleteपलकों पर दीप जला दो तुम !
मौन समर्पण आखों से दो तुम
नैनों से मुस्का दो तुम !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...