Wednesday, August 17, 2011

मधु सक्सेना





वीरान छुपा होता है

मय के हर प्याले में तूफ़ान छुपा होता है
दिले आशिकी में आसमान छुपा होता है !

एक गजल  ही मुक्कमल है शायर के लिए
हर एक गजल में दीवान छुपा होता है !

जब दर्द ही दर्द को गले लगाता है
हमदर्द के जज्बातों में इन्सान छुपा होता है !

आकर दिले मकां में जाने का जो नाम न ले
घर के हर कमरे में जहान छुपा होता है !

हर बात में हंसते हर बात में मुस्कुराते हैं
दिल के पातालों में वीरान छुपा होता है !

खैरात दिया करते तीखी मुस्कुराहटों के संग
खुदी की इन खैरातों में एहसान छुपा होता है !

जाने कौन दफन है ऊँचे महलों के नीचे
जमीं जिन्दगी में ज्यों कब्रिस्तान छुपा होता है !

गीत , गजल  , नज्म ,रुबाई , हर लफ्ज फलसफा होता है
तहरीरों की तह में देखो उन्वान छुपा होता है !

हम हैं तुम हो या कोई और आदम
मधु मुस्कानों में भगवान छुपा होता है !