Wednesday, November 30, 2011

उषा जायसवाल














अध्यक्ष
हिंदी लेखिका संघ
मध्यप्रदेश , भोपाल



दिया -दिया 

यह दिया तुम्हारा दिया -दिया
प्रभु तुमने ही तो दिया-दिया !

यह माटी का जो दिया-दिया
उसमें तुमने रंग-रूप दिया !

तुमने सुंदर आकर दिया
धरती का अनुपम रूप दिया !

इसमें तुमने ही तेल दिया
बाती भी तेरा दिया-दिया !

ज्योति तुम्हीं ने इसे दिया
जलने का सीमित अवधि दिया !

तम हरने का अधिकार दिया
फिर बुझने का व्यापार दिया !

प्रभु जब तक जलता रहे दिया
यश-गान तुम्हारा करे दिया !

तेरी भक्ति में ही जले दिया
तेरी शक्ति से तम हरे दिया !

पल-छिन  जो तूने इसे दिया
वह बीते सुंदर दिया-दिया !


















1 comment:

  1. यह दिया तुम्हारा दिया -दिया
    प्रभु तुमने ही तो दिया-दिया !
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

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