अध्यक्ष
हिंदी लेखिका संघ
मध्यप्रदेश , भोपाल
दिया -दिया
यह दिया तुम्हारा दिया -दिया
प्रभु तुमने ही तो दिया-दिया !
यह माटी का जो दिया-दिया
उसमें तुमने रंग-रूप दिया !
तुमने सुंदर आकर दिया
धरती का अनुपम रूप दिया !
इसमें तुमने ही तेल दिया
बाती भी तेरा दिया-दिया !
ज्योति तुम्हीं ने इसे दिया
जलने का सीमित अवधि दिया !
तम हरने का अधिकार दिया
फिर बुझने का व्यापार दिया !
प्रभु जब तक जलता रहे दिया
यश-गान तुम्हारा करे दिया !
तेरी भक्ति में ही जले दिया
तेरी शक्ति से तम हरे दिया !
पल-छिन जो तूने इसे दिया
वह बीते सुंदर दिया-दिया !
यह दिया तुम्हारा दिया -दिया
ReplyDeleteप्रभु तुमने ही तो दिया-दिया !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...